भोपाल। मप्र में विधान परिषद के गठन के लिए संसदीय कार्य विभाग ने संबंधित विभागों से उनका अभिमत मांगा है। इसके लिए उन्हें एक पत्र जारी किया गया है। परिषद गठन की प्रक्रिया को अभी लंबा रास्ता तय करना होगा। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में विधान परिषद के गठन का वादा किया था। सरकार बनने के बाद उसकी कवायद शुरू की गई। इसके तहत संसदीय कार्य विभाग ने कानूनी प्रावधानों के अनुसार इसकी संक्षेपिका बनाकर विधि विभाग से परीक्षण कराया था।
इसके बाद संबंधित विभागों को पत्र भेजकर राय मांगी है। इसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय विकास एवं आवास, उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, विधि विभाग, विधानसभा, पीडब्ल्यूडी, चुनाव आयोग शामिल हैं। उनसे पूछा गया है कि उन्हें इस विषय में कार्यवाही में कितना वक्त लगेगा और कितना खर्च आएगा। इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया होगी।
ऐसी रहेगी आगे की प्रक्रिया
विभागों की राय के बाद प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट को भेजा जाएगा। कैबिनेट ही निर्णय करेगी कि विधान परिषद का गठन कब होगा। वहां से पारित होने के बाद प्रस्ताव को भारत सरकार को भेजा जाएगा। यहां के अनुमोदन के बाद राष्ट्रपति उसकी अधिसूचना जारी करेंगे, तब जाकर परिषद गठन का रास्ता साफ होगा। विस के बजट के आधार पर विधान परिषद पर व्यय का अनुमान लगाया है। इसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, अधिकारी, कर्मचारियों के वेतन भत्ते, कार्यालय खर्चआदि पर कुल खर्च करीब साढ़े 26 करोड़ आंका गया है।
सरकार के वचन पत्र के अनुसार विधान परिषद के संबंध में प्रक्रिया चल रही है। विभागों से उनका अभिमत मांगा गया है। उसके बाद ही आगे की कार्यवाही होगी।